हमे अमुक व्यक्ति की तरह बनना है या फिर उस अमुक व्यक्ति ने जैसा किया वैसा करना है या उसकी तरह ही दिखना है इत्यादी इत्यादि ... | ये बातें लगभग हम सभी लोगों ने सुनी है या फिर लोगों को ऐसा कहते देखा है |
ऐसी बातें जब हम सुनते हैं तो हमारे मन मस्तिष्क में ये विचार आता है कि क्या दुसरे जैसा बनने और करने में ही सच्ची सफलता है ? क्या यही हमारे जीवन का मकसद है ? और अगर ऐसा नहीं है तो फिर लोग दूसरों के जैसे होने या बनने की बात क्यों करते है |
तो चलिए आज हम आपके साथ इसी विषय पर चर्चा करते है |
एक व्यक्ति जो अपने जीवन में कुछ हासिल करना चाहता है, किसी मजिल तक पहुचना चाहता है तो उसे एक प्रेरणा की जरुरत होती है, उसे मार्ग दर्शन की जरुरत होती है और इसके लिए वह अपने से ज्यादा सफल और योग्य व्यक्तियों की तरफ देखता है ताकि वह उनसे कुछ सीख सके, अपनी मजिल की ओर जाने वाले रास्ते के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त कर सके |
अब यहाँ तो ठीक है कि किसी योग्य व्यक्ति से कुछ सीखने और प्रेरित होने में कुछ भी गलत नहीं है लेकिन समस्या तब शुरू हो जाती है जब व्यक्ति प्रेरित होने के स्थान पर नक़ल करने लगता है और हुबहू दुसरे के जैसा बनने में अपनी पूरी उर्जा लगा देता है | व्यक्ति यह भूल जाता है कि उस सफल व्यक्ति की जिसकी वो नक़ल कर रहा है, उसकी प्रतिभा , उसके गुण, उसके कार्य करने का तरीका, सबकुछ अगल हो सकता है | व्यक्ति यहाँ पर सिर्फ परिणाम देखता है और बाकी अन्य बातों पर उसका ध्यान ही नहीं जाता, और यही से समस्या भी शुरू होती है | व्यक्ति अपने अन्दर की प्रतिभा को नकारने लग जाता है और समय बीतने के साथ तमाम प्रयासों के बावजूद जब आशातीत सफलता नहीं मिलती है तो व्यक्ति हीन भावना का शिकार हो जाता है उसे लगने लगता है कि उसमे वो बात ही नहीं है वो क्षमता ही नहीं है कि वह अपने जीवन में कुछ अर्जित कर सके और यही से वो व्यक्ति, जो अपने जीवन में बहुत कुछ कर सकता था वो पिछड़ने लगता है और एक समय आता है जब वो निराशा का शिकार हो जाता है और नकारात्मकता विचार उसके व्यक्तित्व पर हावी होने लगती है |
अब अगर इसके स्थान पर वो ही व्यक्ति उस व्यक्ति से प्रेरित भले ही जरुर होता लेकिन साथ ही अपनी प्रतिभा के हिसाब से सफलता की अपनी रणनीति बनाता, नक़ल की जगह अपनी अकल लगाता तो उसे जो भी हासिल होता वो उसकी अपनी सूझ बुझ और समझ का परिणाम होता | इसके अलावा चूंकि ये सफलता उसे अपनी अकल लगाने की वजह से मिला होता है तो इसकी वजह से उसे जो ख़ुशी मिलती वो अदभुत होती |
अंत में यही कहेंगे कि दूसरों से प्रेरणा अवश्य ग्रहण करें परन्तु दुसरे की नक़ल ना करें | अपनी मंजिल का रास्ता अपनी समझ और अपनी प्रतिभा से स्वयं तय करें | यकीन करें आपकी मजिल तक का ये सफ़र न सिर्फ आपके लिए बल्कि दूसरों के लिए भी सीख देने वाला होगा और आप दूसरों के लिए एक मिसाल बन जायेंगे |
Dushro ki Nakal karne se inshaan apne aap ko bhul jata hai
ReplyDeleteCorrect
DeleteHari bol
ReplyDeleteVery good thought sir
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